अभ्यास का परिणाम
शनिवार, 23 जुलाई 2016
एक दिन महान वायलिन वादक फ्रिट्ज क्रिस्लर एक संगीत समारोह में
वायलिन बजा रहे थे। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ तो उन्हें प्रशंसकों ने घेर लिया। एक
प्रशंसक बोला, 'सर, आप बहुत अच्छी वायलिन बजाते हैं। इतनी अच्छी वायलिन बजाने के
लिए मैं अपनी पूरी जिंदगी लगा सकता हूं।‘
•क्रिस्लन मुस्कुरा कर बोले, 'भाई, मैं तो अपना पूरा जीवन लगा चुका हूं।
जब कला के प्रति आप अपना पूरा जीवन समर्पित करते हैं तभी कला का निखार निकल कर
सामने आता है।' इस पर दूसरा प्रशंसक बोला, 'सफलता में भाग्य की भी भूमिका होती है।
वरना कोई कलाकार यश और सम्मान से वंचित न रहे। सभी को बराबर सम्मान और यश कहां
प्राप्त होता है?‘
•क्रिस्लर यह सुनकर बोले, 'आप गलत कह रहे हैं। सफलता भाग्य का नहीं, बल्कि
लगातार अभ्यास का परिणाम है।' इस पर वहीं मौजूद तीसरा व्यक्ति बोल पड़ा, 'आखिर आप
अभ्यास पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं? क्रिस्लर बोले, 'मैं अपना ही उदाहरण देकर
बताता हूं। अगर मैं एक महीने तक वायलिन बजाने का अभ्यास न करूं तो मेरे वायलिन
बजाने में आए फर्क को श्रोता महसूस कर सकते हैं।
•अगर मैं एक सप्ताह तक अभ्यास न करूं तो मेरी पत्नी वायलिन बजाने
के फर्क को बता सकती है और अगर मैं एक दिन अभ्यास न करूं तो मैं खुद फर्क बता सकता
हूं।' अब तक तीनों पर उनकी बातों का असर होने लगा था। फिर भी एक ने पूछा, 'क्या
अभ्यास के भी कुछ नियम हैं?‘ क्रिस्लर
बोले,
'बिल्कुल। अभ्यास करते समय व्यक्ति को खुशमिज़ाज और सकारात्मक भावों से भरा रहना
चाहिए। जब वह सकारात्मक भावों के साथ प्रसन्नता से कला का अभ्यास करेगा तो धुन की
आवाज भी दिल को छूने वाली ही बाहर निकलेगी।' तीनों कला के प्रति क्रिस्लर के
समर्पण के आगे नतमस्तक हो गए।
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